किसानों को बचाना है तो लागू करवाना होगा फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून – बलराज कुंडू

July 19, 2020

किसानों को बचाना है तो लागू करवाना होगा फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून – बलराज कुंडू

महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू किसान न्याय यात्रा को समर्थन देने पहुंचे बरोदा के गांव रुखी।

कुंडू बोले-नेताओं की हाजिरी बजाना बन्द करके किसी किसान के बेटे को विधायक बनाओ, जो अपना घर भरने की बजाय नेक नियत से तुम्हारी सेवा कर सके।

गोहाना, 19 जुलाई रवि पथ:

शोषण की चक्की में फंसकर पिसते जा रहे किसान को बचाना है तो जल्द से जल्द फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून लागू करवाना पड़ेगा। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने यह बात आज बरोदा हलके के गांव रुखी में पहुंची किसान न्याय यात्रा को समर्थन देने के दौरान कही।
बलराज कुंडू ने कहा कि महम के लोग जाग चुके हैं और इसी तरह से बरोदा के लोगों को भी जागना पड़ेगा और कोई ऐसा व्यक्ति चुनकर विधानसभा में भेजना पड़ेगा जो किसान का दुःख-दर्द समझने वाला हो और मेरे साथ मिलकर चंडीगढ़ में किसान, गरीब, युवा बेरोजगार और छोटे दुकानदार तथा दलितों के हकों की लड़ाई लड़ने में मेरा साथ दे सके क्योंकि मैं कई बार खुद को अकेला महसूस करता हूँ। मुझे एक ऐसा साथी और चाहिए जो मेरी ही तरह बेधड़क होकर आप लोगों के हकों की आवाज को मजबूती से उठा सके। हम दोनों एक और एक ग्यारह बनकर आपके हकों की लड़ाई लड़ेंगे।

बलराज कुंडू ने इस दौरान न्याय यात्रा में किसान नेता डॉ शमशेर सिंह, प्रदीप धनखड़, जगबीर घसौला, रणबीर फौजी घिक्काड़ा, रणबीर मानकावस, संजय, रविन्द्र सांगवान, कृष्ण कुमार और उनके साथियों द्वारा उठाये जा रहे मुद्दों का भी पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि किसान बचेगा तभी गांव बचेंगे। उन्होंने कृषि और शामलात भूमि संरक्षण बिल की पैरवी की। साथ ही उन्होंने ठेकेदारी प्रथा के चलते हो रहे युवाओं के शोषण के खिलाफ भी सरकार पर हमला बोला। पीटीआई मामले में भी कुंडू ने खट्टर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए और कहा कि सीएम यदि चाहे तो अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करके नौकरी बहाल की जा सकती है लेकिन खट्टर साहब की नीयत में ही खोट है।

सबके साथ और सबके विकास की बातें करने वाले खट्टर साहब की हकीकत यह है कि वे सबसे बड़े जातिवादी हैं जिन्होंने तकरीबन तमाम बड़े पदों पर सिर्फ अपने ही समुदाय के अफसरों को मलाईदार पदों पर लगा रखा है। मेरा सवाल यह है कि क्या बाकी समुदायों के अफसरों में योग्यता की कमी है या फिर खट्टर साहब को लगता है कि उनकी छोड़कर बाकी सभी जातियों के लोग बेईमान हैं ? कुंडू ने कहा कि सिर्फ अपने समुदाय के लोगों को ही मलाईदार पदों पर लगाना इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि खट्टर साहब कितने बड़े जातिवादी मानसिकता के व्यक्ति हैं और उनको किस पर कितना विश्वास है।