हाईकोर्ट ने हरियाणा में प्राईवेट नौकरियों में प्रदेशवासियों को 75% आरक्षण पर रोक लगाई

February 3, 2022

हाईकोर्ट ने हरियाणा में प्राईवेट नौकरियों में प्रदेशवासियों को 75% आरक्षण पर रोक लगाई

15 जनवरी 2022 से ही लागू किया गया था आरक्षण कानून

श्रम विभाग की नोटिफिकेशन से 50 हज़ार रुपये की सीमा भी घटाकर 30 हज़ार रुपये की गयी थी

स्थानीय उम्मीदवार की परिभाषा में डोमिसाइल की बजाय बोनाफाईड रेजिडेंट शब्द का प्रयोग होना चाहिए – विधि विशेषज्ञ की राय

चंडीगढ़   रवि पथ –

हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन (एम्पलाएमेंट) कानून, 2020 जिसे आम भाषा में प्रदेश में प्राईवेट क्षेत्र की नौकरियों में प्रदेश वासियों हेतु 75% आरक्षण कानून के तौर पर कहा जाता है, उसके क्रियान्वयन पर आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है हालांकि समाचार लिखे जाने तक हाइकोर्ट के डिवीजन बैंच, जिसमें जस्टिस अजय तिवारी और जस्टिस पंकज जैन शामिल हैं, द्वारा आज इस संबंध में पारित आदेश
की आधिकारिक कापी प्राप्त नहीं हुई. फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन एवं अन्य द्वारा गत वर्ष इस संबंध में हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी.

नवंबर, 2020 में हरियाणा विधानसभा द्वारा उपरोक्त कानून विधेयक के तौर पर पारित किया गया था जिसके बाद गत वर्ष 26 फरवरी 2021 को उसे राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद 2 मार्च 2021 को सरकारी गजट में प्रकाशित किया गया था. गत माह 15 जनवरी 2022 से उसे लागू किये जाने सम्बन्धी नोटिफिकेशन प्रदेश सरकार के श्रम विभाग द्वारा गत वर्ष नवंबर, 2021 में जारी की गयी थी एवं इसके साथ ही इसके दायरे में आने वाली प्राइवेट नौकरियों की अधिकतम वेतन सीमा को 50 हजार रुपये प्रतिमाह से घटाकर 30 हजार रुपये प्रतिमाह भी कर दिया गया था.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम तो सबको यह स्पष्ट होना चाहिए कि उपरोक्त कानून लागू होने के 10 वर्षों तक ही अस्तित्व में रह सकता है जैसा कि इसकी मौजूदा धारा 1(4) में साफ़ उल्लेख है.
हालांकि प्रदेश सरकार बिना उक्त कानून में संशोधन किए इसके दायरे में आने वाली प्राईवेट नौकरियों की अधिकतम वेतन सीमा को घटा सकती है चूँकि इस कानून की धारा 3 और 4 में प्रदेश सरकार इसके लिए पूर्णतया सक्षम है.

हेमंत ने एक अन्य महत्वपूर्ण प्वाइंट के बारे में बताया कि उक्त कानून की धारा 2( जी) में स्थानीय उम्मीदवार से अभिप्राय है ऐसा उम्मीदवार जो हरियाणा राज्य का अधिवासी (डोमिसाइल) हो. उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए बताया कि जून, 1984 में सुप्रीम कोर्ट के डॉ. प्रदीप जैन बनाम भारत सरकार में दिए गए निर्णय अनुसार देश के सभी नागरिको का डोमिसाइल भारत देश का ही है न कि उस राज्य/प्रदेश का जहाँ के वह मूल/स्थाई निवासी हैं. भारत संविधान के अनुसार सभी भारत के नागरिक केवल भारत देश के है डोमिसाइल हैं. अत: सभी प्रदेशवासी भी हरियाणा के डोमिसाइल नहीं बल्कि हरियाणा के बोनाफाइड रेजीडेंट ( स्थाई निवासी) हैं.

3 अक्तूबर, 1996 को हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश वासियों को हरियाणा का स्थाई निवासी होने संबंधित प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट) जारी करने संबंधी जो सरकारी पत्र जारी किया गया, जिसमें इसके लिए निर्धारित योग्यताओं का विस्तृत रूप में उल्लेख है, उस पत्र के आरंभ में भी यह स्पष्ट किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के डा. प्रदीप जैन केस में निर्णय (1984) के बाद राज्य सरकार द्वारा डोमिसाइल शब्द का नहीं बल्कि रेसीडेंट (निवासी) शब्द का प्रयोग किया जाएगा.

हेमंत ने यह भी बताया कि 14 जनवरी 2021 को राज्य सरकार द्वारा हरियाणा के स्थाई निवासी प्रमाण -पत्र जारी करने के लिए प्रदेश में रहने ( निवास) की न्यूनतम अवधि को भी जो 15 वर्षों से घटाकर 5 वर्ष किया गया है, इसके लिए भी 3 अक्तूबर, 1996 के ही सरकारी पत्र में संशोधन किया गया है जिसका अर्थ है कि उक्त मूल पत्र आज तक लागू है जिसके फलस्वरूप हरियाणा सरकार द्वारा हर संबंधित कानून में भी डोमिसाइल शब्द की बजाय बोनाफाइड रेसीडेंट शब्द का ही प्रयोग किया जाना चाहिये. यहाँ तक कि 10 सितंबर 2021 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रदेश सरकार में ग्रुप सी और डी पदों हेतु ली जाने वाले कामन एलीजिबिलीटी टेस्ट बारे जो गजट नोटिफिकेशन जारी की गई है उसमें भी हरियाणा वासियों के लिए डोमिसाइल के स्थान पर बोनाफाइड रेजीडेंट शब्द का प्रयोग किया गया है.