मनरेगा में 6007 कामों के लिए 100 करोड़ रुपये के बजट का अनुमोदन

March 9, 2019

मनरेगा में 6007 कामों के लिए 100 करोड़ रुपये के बजट का अनुमोदन
जिला परिषद की बैठक में वार्षिक बजट सहित अनेक प्रस्तावों पर लगी मुहर
जिला परिषद चेयरमैन विकास कार्यों के लिए आई राशि के खर्च का निर्णय लेने को अधिकृत

हिसार, 9 मार्च

रवि पथ ब्यूरो

जिला परिषद की आज हुई बैठक में वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान जिला में 6007 विकास कार्य करवाने के लिए 10097.49 लाख रुपये के बजट का सर्वसम्मति से अनुमोदन किया गया। जिला परिषद चेयरमैन ब्रह्मदेव स्याहड़वा की अध्यक्षता में आयोजित जिला परिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। बैठक में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास यादव सहित विभिन्न वार्डों के पार्षद व कई विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में लेखा अधिकारी ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत वर्ष 2019-20 में कुल 6007 विकास कार्य प्रस्तावित हैं। इनमें कुल 6364.31 लाख रुपये लेबर के तथा 3733.18 लाख रुपये मैटिरियल के लिए प्रस्तावित हैं। इन कार्यों से 2264774 मानव दिवस सृजित होंगे। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि चालू वित्त वर्ष का सप्लीमेंटरी बजट भी इस कार्यालय को प्राप्त हुआ है जिसके तहत 462 कार्यों के लिए 985.45 लाख रुपये लेबर के रूप में तथा 384.05 लाख रुपये मैटिरियल के रूप में खर्च किए जाएंगे। इस वर्ष में कुल 350561 मानव दिवस सृजित होंगे। बैठक में चालू व आगामी वित्त वर्ष के मनरेगा कार्यों पर विचार-विमर्श करते हुए निश्चित किया गया कि यदि जिला परिषद सदस्य कोई अन्य कार्य मनरेगा से करवाना चाहते हैं तो एक सप्ताह में अपनी सूची जिला परिषद को दें ताकि इन्हें भी शामिल किया जा सके।
सदन के समक्ष वर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित 13 करोड़ 32 लाख 40 हजार रुपये का अनुमानित व्यय का बजट रखा गया। वार्ड 4 की पार्षद मीना शर्मा ने सदन के सम्मुख प्रस्ताव रखा कि जिला परिषद के बजट में विकास कार्य के लिए निर्धारित राशि तथा सरकार से प्राप्त होने वाली राशि किन कार्यों पर खर्च की जानी है, इसका निर्णय करने के लिए परिषद चेयरमैन को अधिकृत किया जाए। सदन द्वारा बहुमत से इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
जिला परिषद सदस्य सरोज बामल ने मांग की कि सीसर में मकान के साथ लगे ट्रांसफार्मर को हटवाने की मांग पिछली बैठक के दौरान भी की गई थी जिसे अब तक हटवाया नहीं गया है। सदन द्वारा इस मामले में नाराजगी प्रकट करते हुए बिजली निगम को पत्र लिखकर इस कार्य को परम अग्रता के साथ करवाने के संबंध में निर्देश जारी करने का प्रस्ताव पास किया गया। सदस्य रमेश श्योराण ने कहा कि गांवों में बुजुर्गों के जन्म प्रमाण पत्र व वोटर कार्ड आदि में नाम या पिता के नाम की मामूली गलतियों के चलते उनकी पेंशन नहीं बन पाती हैं। इस समस्या पर विचार करते हुए पेंशन जारी करने वाले विभाग के माध्यम से सरकार को प्रस्ताव भिजवाने का निर्णय लिया गया। सदस्यों की मांग पर खेल के सामान के लिए बजट की 5 प्रतिशत धनराशि का प्रावधान करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
पार्षद अरुण दत्त शर्मा ने कहा कि जिला परिषद सदस्य को 3 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलता है जबकि उनसे आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले नगर परिषद सदस्य का मानदेय 10 हजार रुपये है। सर्वसम्मति से जिला परिषद सदस्यों का मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को भेजने पर भी सहमति हुई। इसी प्रकार सरपंचों की तरह जिला परिषद व पंचायत समिति के पूर्व सदस्यों को भी पेंशन या मानदेय देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। सदस्यों ने लघु सचिवालय भवन के साथ बनाए जाने वाले जिला परिषद के विकास भवन में सदस्यों के बैठने के लिए सबसे उपरी मंजिल की बजाय प्रथम तल निर्धारित करने की मांग की गई ताकि उनसे मिलने के लिए आने वाले लोगों को कठिनाई न हो। यह प्रस्ताव भी जिला प्रशासन को भिजवाया जाएगा।
पार्षद अरुण दत्त शर्मा ने बताया कि बालसमंद में लगभग 29 तालाब हैं। इन तालाबों की भूमि पर काफी संख्या में लोगों ने अवैध रूप से कब्जे कर रखे हैं जिन्हें हटवाने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए। सदन ने निर्णय लिया कि अवैध कब्जे हटवाने का प्रस्ताव संबंधित बीडीपीओ को भिजवाकर तालाबों की निशानदेही करवाने तथा कब्जे हटवाने की प्रक्रिया की जाए।
बैठक में सदन को अवगत करवाया गया कि नियमानुसार पंचायत समितियों से प्राप्त बजट का अनुमोदन जिला परिषद द्वारा करना होता है लेकिन वर्ष 2019-20 का बजट किसी भी पंचायत समिति से जिला परिषद को प्राप्त नहीं हुआ। इस पर जिला परिषद सीईओ विकास यादव ने विभिन्न पंचायत समितियों के कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पंचायत समितियों द्वारा पास किए गए बजट जिला परिषद को भिजवाएं तथा सरकार के दिशा-निर्देशों व नियमों के अनुसार ही कार्य करें।
पार्षद कृष्ण कुमार सातरोड़ ने बताया कि जिला परिषद सदस्यों को विभिन्न विभागों द्वारा गठित विजिलेंस कमेटियांे में सदस्य नियुक्त किया हुआ है लेकिन पार्षदों को इन कमेटियों की बैठक में कभी भी नहीं बुलाया जाता है। इस पर प्रस्ताव पास किया गया कि सभी विभागों को इस संबंध में जानकारी देते हुए उन्हें निर्देश दिए जाएंगे कि जिला परिषद सदस्यों को इन बैठकों में बुलाया जाए।
बैठक में गांवों में एक किलोमीटर के दायरे में बनी ढाणियों तक बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करवाने, निजी ऑपरेटर्स द्वारा भूमि पैमाइश के लिए ली जाने वाली फीस जिला प्रशासन के माध्यम से निर्धारित करने, गांवों में आवारा पशुओं की समस्याओं का समाधान करने सहित अन्य कई प्रस्ताव भी रखे गए। इनके अलावा सदन द्वारा पिछली बैठक के पश्चात जिला परिषद द्वारा किए गए खर्चों का अनुमोदन व पिछली बैठक की कार्रवाई की पुष्टि भी की गई। बैठक में उन अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने का भी प्रस्ताव पास किया गया जो सूचना देने के बावजूद बैठक में उपस्थित नहीं हुए।

 

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